अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह:एक ऐतिहासिक अवसर...
प्राण प्रतिष्ठा और धार्मिक महत्वअयोध्या के राम मंदिर में गुरुवार को एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला जब भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई।राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की गई, जिसमें भगवान राम,माता सीता,लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न की प्रतिमाएं शामिल हैं।यह आयोजन अत्यधिक धार्मिक महत्व का है और इसे हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा है।
देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा और विशेष आयोजन
राम मंदिर के परिसर में स्थित सात मंदिरों में देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा की गई,जिनमें भगवान शिव, गणेश,हनुमान,सूर्य,मां भगवती और अन्नपूर्णा शामिल हैं।यह आयोजन गंगा दशहरा के अवसर पर किया गया,जिसे हिंदू पंचांग में एक शुभ दिन माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व होने के कारण यह आयोजन और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
मुख्यमंत्री योगी की उपस्थिति और पूजन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर भगवान की आरती उतारी और पूजन किया,उन्होंने कहा कि यह पावन अवसर'एक भारत-श्रेष्ठ भारत'की नई अभिव्यक्ति है।मुख्यमंत्री योगी राम दरबार में पूजन के बाद सभी सातों मंदिरों में भी जाकर पूजन करेंगे, उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी गरिमा प्रदान की।
तीन दिवसीय अनुष्ठान की पूर्णाहुति
इस अवसर पर तीन दिवसीय अनुष्ठान की पूर्णाहुति हुई,जिसमें देशभर से 101 आचार्यों ने भाग लिया।इस अनुष्ठान के साथ ही राम मंदिर के दूसरे प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव का मुख्य पर्व संपन्न हुआ।अनुष्ठान में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल थीं, जिन्होंने भक्तों को आकर्षित किया।
विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर करीब एक हजार विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित किया गया था,जिनमें संत,धार्मिक नेता और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।सभी ने भगवान की आरती में भाग लिया और पूजन किया,उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी भव्य बना दिया और यह दर्शाया कि यह अवसर कितना महत्वपूर्ण है।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है,बल्कि यह सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।यह आयोजन हिंदू संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करता है और लोगों को अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।
भविष्य की संभावनाएं
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या और पूरे देश में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में वृद्धि होने की संभावना है।यह आयोजन लोगों को एक साथ लाने और धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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