गुरु पूर्णिमा:गुरु की महिमा और महत्व...
गुरु पूर्णिमा का पर्व आज गुरुवार,10 जुलाई को मनाया जा रहा है,इस दिन शिष्य अपने शैक्षणिक और आध्यात्मिक गुरु और मार्गदर्शक की पूजा करते हैं। शास्त्रों में गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर बताया गया है,क्योंकि वे अपने शिष्य को जीवन में सफलता पाने का और परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग बताते हैं।
गुरु का महत्व और पूजा
गुरु का महत्व बताने वाला एक श्लोक बहुत चर्चित है:
"गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुःसाक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।"
इस श्लोक का अर्थ ये है कि गुरु ही ब्रह्मा हैं,गुरू ही विष्णु हैं,गुरु ही शिव हैं,गुरु साक्षात परब्रह्म हैं,गुरु को हम प्रणाम करते हैं।
गुरु पूर्णिमा पर क्या करें?
गुरु पूर्णिमा पर कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा सकते हैं:
-गुरु का पूजन:यदि आपने किसी को गुरु माना है तो उनके दर्शन करें और उनके चरण स्पर्श करें, कोई उपहार दें।
-व्रत व ध्यान:इस दिन व्रत रखकर ध्यान करना चाहिए।
-जरूरतमंद लोगों को दान:अनाज,कपड़े,जूते-चप्पल, छाता,धन,खाना दान करना चाहिए।
-स्वाध्याय और सेवा:ग्रंथों का पाठ करें,गुरु द्वारा बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
-गुरुवाणी श्रवण:संतों और गुरुओं के प्रवचन सुनना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा केवल एक दिन का उत्सव नहीं, जीवन भर की साधना की दिशा है,ये दिन हमें ये स्मरण कराता है कि ज्ञान, आत्मबोध और मोक्ष की यात्रा में गुरु की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।
आदिगुरु वेदव्यास और गुरु पूर्णिमा
महाभारत भीष्म पर्व में वेदव्यास को गुरु मानते हुए, पांडवों ने उनसे शिक्षा प्राप्त की थी,वेदव्यास को आदिगुरु के रूप में स्मरण किया जाता है।वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा पर ही हुआ था,इनकी जन्म तिथि होने की वजह से ही इस दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।
गुरु पूर्णिमा की महिमा
गुरु पूर्णिमा की महिमा अपरंपार है,इस दिन गुरु की पूजा करने से ज्ञान,आत्मबोध और मोक्ष की प्राप्ति होती है।गुरु पूर्णिमा पर हम अपने गुरुओं को सम्मानित करते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
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