मध्यप्रदेश में तबादले के विरोध में हाईकोर्ट जा सकते हैं अधिकारी-कर्मचारी...
विभागों ने हाईकोर्ट में सरकार का पक्ष सुनने के लिए दायर की केविएटभोपाल।।मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में तबादला नीति लागू की है,जिसके तहत 30 मई तक स्वैच्छिक और प्रशासनिक तबादलों का फैसला ले लिया गया है। सरकार को आशंका है कि तबादले के विरोध में कई अधिकारी और कर्मचारी कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
विभागों की तैयारी
ऐसे हालातों से निपटने के लिए कई विभागों ने तबादला आदेश जारी करने से पहले हाईकोर्ट में केविएट दायर कर दी है।कोर्ट से आग्रह किया गया है कि स्थानांतरित कर्मचारियों द्वारा कोर्ट में अपील करने के मामले में कोई फैसला देने से पहले न्यायालय सरकार के संबंधित विभाग का पक्ष भी सुने।
हाईकोर्ट में केविएट दायर
स्कूल शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट जबलपुर,ग्वालियर और इंदौर में केविएट दायर की है,विभाग का कहना है कि शिक्षक संवर्ग और गैर-शिक्षक संवर्ग के अमले का प्रशासकीय आवश्यकता के आधार पर राज्य स्तर से स्थानांतरण किया जाने वाला है।ऐसे में स्थानांतरण आदेश के खिलाफ संबंधित लोक सेवा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं।
तबादला अवधि बढ़ने के संकेत
माना जा रहा है कि मंत्रियों की मांग के बाद मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव तबादला अवधि में वृद्धि करने के निर्देश दे सकते हैं,सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
विभागों की कार्रवाई
तबादला नीति लागू हुए अब तक 28 दिन हो चुके हैं, लेकिन पीडब्ल्यूडी और पीएचई विभाग के सौ से अधिक कर्मचारियों-अधिकारियों के स्थानांतरण के अलावा किसी दूसरे विभाग ने तबादले की बड़ी सूची जारी नहीं की है।स्कूल शिक्षा,उच्च शिक्षा,नगरीय विकास और आवास,राजस्व,गृह,लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा,पंचायत और ग्रामीण विकास, जनजातीय कार्य,ऊर्जा और जल संसाधन जैसे विभागों में स्थानांतरित किए जाने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों का प्रतिशत अधिक रहेगा।
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