व्हाट्सएप चैट को सबूत के तौर पर मान्यता: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट का अहम फैसला...
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है,जिसमें कहा गया है कि पति-पत्नी के बीच व्हाट्सएप पर हुई बातचीत को पारिवारिक मामलों में सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है,भले ही ये बातचीत बिना किसी एक पार्टनर की मर्जी के हासिल की गई हो।क्या है मामला?
यह मामला एक पति-पत्नी से जुड़ा है,जिनकी शादी 2016 में हुई थी और 2017 में उनकी एक बेटी हुई। बाद में पति ने तलाक के लिए अर्जी दी और आरोप लगाया कि पत्नी ने उसके साथ क्रूरता की और उसका किसी और के साथ संबंध है।पति ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए व्हाट्सएप मैसेज पेश किए,जो उसने पत्नी के फोन से एक हिडन एप्लीकेशन के जरिए निकाले थे।
पत्नी की आपत्तियां
पत्नी ने व्हाट्सएप चैट के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई और कहा कि यह उसकी प्राइवेसी का उल्लंघन है,जो उसे आर्टिकल 21 के तहत मिली है।उसने यह भी कहा कि यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का भी उल्लंघन है।
कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने पत्नी की आपत्तियों को खारिज कर दिया और कहा कि फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 की धारा 14 के तहत,कोर्ट किसी भी ऐसे मटेरियल को स्वीकार कर सकते हैं जो पारिवारिक विवादों को सुलझाने में मदद करे,भले ही वह भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत मान्य न हो।जस्टिस आशीष श्रोती ने कहा कि फैमिली कोर्ट सबूतों के नियमों में थोड़ी ढील देते हैं क्योंकि पारिवारिक मामले निजी और संवेदनशील होते हैं।
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