14 साल की सजा,6 साल की माफी:जबलपुर से शुरू हुई कैदियों की जल्दी रिहाई की नई परंपरा...
जबलपुर –नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल, जबलपुर में इस स्वतंत्रता दिवस पर नज़ारा खास था। लोहे के दरवाज़े खुले और 12 कैदी—जिनमें 11 पुरुष और एक महिला—नई जिंदगी की ओर कदम बढ़ाते हुए बाहर आए।यह सिर्फ एक रिहाई नहीं,बल्कि प्रदेश में कैदी माफी व्यवस्था के नए अध्याय की शुरुआत है।इन कैदियों ने 14 साल का कारावास पूरा किया और जेल के भीतर अनुशासन,अच्छे आचरण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी के चलते 6 साल की सजा माफी पाई,वे डिंडोरी,सिवनी,नरसिंहपुर,कटनी, छिंदवाड़ा और बालाघाट जिलों से हैं।
उप-जेल अधीक्षक मदन कमलेश के मुताबिक,अब प्रदेश में कैदियों की रिहाई के लिए पांच विशेष अवसर तय किए गए हैं—15 अगस्त,26 जनवरी,अंबेडकर जयंती,गांधी जयंती और 15 नवंबर(जनजातीय गौरव दिवस)।पहले यह सुविधा सिर्फ दो राष्ट्रीय पर्वों तक सीमित थी,इसका मतलब यह है कि अब अच्छे आचरण वाले कैदियों को अगले पर्व का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
रिहाई से पहले हर कैदी का मूल्यांकन कई मानकों पर किया जाता है—जेल अनुशासन का पालन, औद्योगिक व शैक्षिक प्रशिक्षण में भागीदारी और परिवार से जुड़ाव इनमें शामिल हैं।कई बार 14 साल की सजा पूरी होने के बाद भी खराब आचरण वाले कैदी 15-16 साल तक अंदर रहते हैं।रिहाई के समय सभी कैदियों को उनकी मेहनत की कमाई और प्रशिक्षण किट दी गई,ताकि वे जेल से बाहर समाज में नई शुरुआत कर सकें।यह पहल न केवल कैदियों के पुनर्वास की दिशा में एक सकारात्मक कदम है,बल्कि जेल सुधार प्रणाली को भी नई दिशा दे रही है।
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