स्वास्थ्य माफिया की ढाल बना प्रशासन?फर्जी डॉक्टर बन घूम रहा स्मार्ट सिटी अस्पताल का संचालक अमित खरे,अदालत तक पहुंचे मामले
जबलपुर|EagleEye24X7 रिपोर्टसंस्कारधानी जबलपुर में स्वास्थ्य सेवाओं की आड़ में खुलेआम माफिया राज चल रहा है और प्रशासन की आंखों पर पट्टी बंधी है।स्मार्ट सिटी अस्पताल का संचालक और स्वयंभू भाजपा नेता अमित खरे एक बार फिर कटघरे में खड़ा है।जिस व्यक्ति का नाम मेडिकल काउंसिल में तक दर्ज नहीं,वही खुद को डॉक्टर बताकर शहर भर में गुंडागर्दी और फर्जीवाड़े का कारोबार कर रहा है।
दमोह का फर्जी एमएलसी कांड –प्रदेशभर में मचा था हंगामा
नवंबर 2021 का कुख्यात मामला अभी भूला भी नहीं गया।दमोह के एक मरीज को स्मार्ट सिटी अस्पताल में भर्ती दिखाकर जेल अस्पताल के डॉक्टर के नाम से फर्जी एमएलसी रिपोर्ट बना दी गई थी।बाद में जांच में पता चला कि जिस डॉक्टर का नाम रिपोर्ट में डाला गया,उसका पूरे मामले से कोई लेना-देना ही नहीं था। यह कांड पूरे प्रदेश में सुर्खियों में आया था,लेकिन कार्रवाई के नाम पर सबकुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
अदालत की चौखट तक पहुंचे मामले
सिर्फ पुलिस फाइलों में ही नहीं,बल्कि अदालत तक खरे की करतूतें पहुंच चुकी हैं,सतना निवासी डॉक्टर लक्ष्मण शाह ने न्यायालय में परिवाद दायर कर खरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं।सवाल यह है कि जब मामले अदालत में लंबित हैं,तब भी प्रशासन क्यों आंख मूंदे बैठा है?
आयुष्मान कार्ड घोटाले से गरीबों का हक छिना
खरे पर यह भी आरोप है कि उसने गरीब मरीजों के आयुष्मान कार्ड का दुरुपयोग कर इलाज के नाम पर राशि हड़प ली।यानी जनता की स्वास्थ्य योजनाओं से मिलने वाला लाभ सीधे माफिया की जेब में गया। गरीबों के हक की लूट पर भी शासन-प्रशासन खामोश है।
पुलिस-स्वास्थ्य विभाग की टकराहट
स्मार्ट सिटी अस्पताल कांड पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग आमने-सामने हैं,पुलिस का कहना है कि एफआईआर दर्ज हो चुकी है,अब स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई करे।वहीं स्वास्थ्य विभाग गेंद पुलिस के पाले में डालकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है। इस “पिंग-पोंग प्रशासन” ने पीड़ितों का विश्वास तोड़ दिया है।
जनता में गुस्सा,फरियादियों में दहशत
एमएलसी फर्जीवाड़ा,अदालत में परिवाद,आयुष्मान घोटाला और मेडिकल काउंसिल में नाम न होना—ये सब अमित खरे को स्वास्थ्य माफिया साबित करने के लिए काफी हैं। जनता पूछ रही है कि आखिर कब तक ऐसे सफेदपोश गुंडे राजनीतिक छत्रछाया में कानून से खेलते रहेंगे?
सबसे बड़ा सवाल –डॉक्टर हैं भी या नहीं?
सूत्रों के अनुसार भोपाल स्थित मेडिकल काउंसिल में अमित खरे का नाम ही नहीं है,यानी वह जिस डिग्री और पंजीयन के दम पर खुद को डॉक्टर बता रहा है, उसकी असलियत ही संदिग्ध है।अब बड़ा सवाल है—क्या शासन-प्रशासन इस फर्जीवाड़े पर शिकंजा कसेगा या फिर यह मामला भी फाइलों में गुम हो जाएगा?
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