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“MP में पटवारियों की हड़ताल:1 सितंबर से ठप होंगे नामांतरण-बंटवारे,किसान और आम जनता परेशान”

“MP में पटवारियों की हड़ताल:1 सितंबर से ठप होंगे नामांतरण-बंटवारे,किसान और आम जनता परेशान”

भोपाल।मध्यप्रदेश में जमीन से जुड़े कामकाज एक बार फिर संकट में हैं,प्रदेश के पटवारी 1 सितंबर से हड़ताल पर जाने वाले हैं।इसकी सबसे बड़ी वजह है सरकार का नया GIS 2.0 पोर्टल,जो तकनीकी खामियों से भरा पड़ा है।पटवारियों का कहना है कि इस पोर्टल के चलते नामांतरण,बंटवारा,डायवर्सन और नकल जैसे जरूरी काम प्रभावित हो रहे हैं।

किसान समय पर खसरा,बी-1 और जमीन संबंधी जरूरी दस्तावेज नहीं निकाल पा रहे हैं।इससे ऋण, बीमा और सरकारी योजनाओं में भी बाधा आ रही है।

पटवारियों की नाराजगी –“पोर्टल सुधारे बिना काम नहीं”

पटवारियों का आरोप है कि GIS 2.0 पोर्टल न तो यूज़र फ्रेंडली है और न ही स्थिर।

👉बार-बार सर्वर डाउन हो जाता है।

👉नामांतरण और बंटवारे की फाइलें अटक जाती हैं।

👉किसानों और आम नागरिकों को समय पर सुविधा नहीं मिल रही है।

पटवारियों ने साफ चेतावनी दी है कि जब तक पोर्टल की खामियां दूर नहीं होंगी, वे काम का बहिष्कार करेंगे।

पटवारियों की मुख्य मांगें

•GIS 2.0 पोर्टल की तकनीकी गड़बड़ियों को तुरंत ठीक किया जाए।

•स्थिर और उपयोगी प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाए।

•फील्ड स्टाफ पर कार्रवाई बंद कर सिस्टम सुधार पर ध्यान दिया जाए।

हड़ताल से होगा बड़ा असर

•किसान जमीन संबंधी कार्यवाही (नामांतरण, बंटवारा, डायवर्सन) नहीं कर पाएंगे।

•ऋण, फसल बीमा और अनुदान के लिए जरूरी दस्तावेज अटक जाएंगे।

•आम नागरिकों को रजिस्ट्री और नामांतरण जैसे कामों में दिक्कत होगी।

•सरकारी राजस्व कार्य ठप पड़ेंगे।

•मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायतों का अंबार और बढ़ जाएगा।

किसानों की बढ़ी परेशानी

किसान संगठनों का कहना है कि पहले से ही भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण में ढेरों दिक्कतें हैं। बार-बार सर्वर डाउन और पोर्टल की गड़बड़ियों से कामकाज पेंडिंग पड़ा रहता है। अब अगर पटवारी हड़ताल पर चले गए तो किसान और आम जनता के लिए स्थिति बेहद गंभीर हो जाएगी।

निचोड़

सरकार के डिजिटलीकरण के दावे अब पटवारियों की हड़ताल के चलते सवालों के घेरे में हैं। यदि 1 सितंबर से हड़ताल शुरू हो गई तो प्रदेश में जमीन संबंधी लगभग सभी कामकाज ठप पड़ जाएंगे। अब देखना यह है कि सरकार पटवारियों की मांगों पर सुनवाई करती है या फिर किसानों और जनता को और बड़ी मुश्किल में डाल देती है।

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