18 दिन बाद थमा आंदोलन:तहसीलदार-नायब तहसीलदार लौटे ड्यूटी पर,सरकार से 3 मांगें मानी गईं –ग्रेड-पे पर फैसला टला...
जबलपुर।।मध्यप्रदेश में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों का लंबा चला कामबंदी आंदोलन आखिरकार सोमवार 18 अगस्त की शाम खत्म हो गया।6 अगस्त से चले इस आंदोलन के चलते प्रदेशभर में जनता के काम ठप पड़े थे,देर शाम संघ के पदाधिकारियों ने प्रमुख सचिव राजस्व विवेक पोरवाल और प्रमुख राजस्व आयुक्त के साथ मैराथन बैठक के बाद आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया।बैठक के बाद सभी तहसीलदार-नायब तहसीलदारों ने कलेक्टर दीपक सक्सेना से मुलाकात कर कहा कि वे तुरंत जनता के कार्य शुरू करेंगे।
किन मुद्दों पर बनी सहमति?
दो घंटे से अधिक चली बैठक में सरकार और संघ के बीच कई अहम बिंदुओं पर सहमति बनी –
1.गैर-न्यायिक शब्द हटेगा – अब इसे कार्यपालिक दंडाधिकारी शब्द से बदला जाएगा।
2.तहसीलदारों की संख्या तय करने में बदलाव – अब कलेक्टरों की राय लेकर ही जिले में पदस्थापना की जाएगी।
3.रेवेन्यू कोर्ट का मर्जर नहीं होगा – सरकार ने आश्वासन दिया कि रेवेन्यू कोर्ट को मर्ज नहीं किया जाएगा।
4.ग्रेड-पे पर सहमति नहीं – इस मुद्दे पर अलग से चर्चा करने का भरोसा दिया गया।
आंदोलन वापस लेने का ऐलान
संघ ने प्रमुख सचिव को भरोसा दिलाया कि वे जनता को राहत देने के लिए काम पर लौट रहे हैं। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि फिलहाल रेवेन्यू से जुड़े कार्यों को छोड़कर बाकी सभी काम करेंगे। सरकार द्वारा संशोधित आदेश का इंतजार रहेगा।
भू-अभिलेख अधिकारी संघ ने भी रखा पक्ष
बैठक में भू-अभिलेख अधिकारी संघ ने भी ज्ञापन सौंपकर कहा कि एसएलआर और एएसएलआर के मर्जर को राजपत्र में प्रकाशित किया जाए ताकि भ्रम की स्थिति खत्म हो।साथ ही न्यायिक-गैर न्यायिक शब्दों को हटाने और तहसीलदार-नायब तहसीलदारों को बेहतर सेटअप और पदोन्नति का लाभ देने की मांग भी उठाई गई।
क्या बदला हालात?
सरकार के आश्वासन और शब्दावली में बदलाव के भरोसे के बाद ही संघ ने आंदोलन खत्म किया। अब देखना होगा कि सरकार कब तक संशोधित आदेश जारी करती है और ग्रेड-पे जैसे अटके मुद्दों पर क्या निर्णय लेती है।
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