दावे बहुत,ज़मीनी हकीकत सवालों में: मोहन सरकार के 2 साल पर डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा की सफाई भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस...
जबलपुर।मध्यप्रदेश में डॉ.मोहन यादव सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा की प्रेस कॉन्फ्रेंस एक बार फिर सरकारी उपलब्धियों के दावों और जमीनी सच्चाई के बीच का फर्क उजागर करती नजर आई।‘विरासत और विकास’का दावा,लेकिन आम जनता अब भी इंतजार में
डिप्टी सीएम ने भले ही दो वर्षों को विरासत और विकास का काल बताया हो,लेकिन प्रदेश के कई हिस्सों में बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।सबका साथ,सबके विकास के नारे के बीच आम लोगों को इसका प्रत्यक्ष लाभ कितना मिला,यह अब भी बड़ा सवाल है।
जबलपुर के नाम पर घोषणाएं,ज़मीन पर कब उतरेंगी योजनाएं?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में:
सबसे बड़े फ्लाईओवर
सबसे बड़ी रिंग रोड
रानी दुर्गावती स्मारक की DPR
जैसी घोषणाएं जरूर दोहराई गईं,लेकिन इन परियोजनाओं की समय-सीमा,लागत और पारदर्शिता को लेकर कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया।स्थानीय नागरिकों का कहना है कि घोषणाओं से आगे बढ़कर काम दिखाई देना चाहिए।
सड़कें बेहतर या सिर्फ कागजों में?
कांग्रेस शासन की सड़कों की तुलना करते हुए भाजपा सरकार ने उपलब्धियां गिनाईं,लेकिन प्रदेश में अब भी कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जर्जर सड़कों की शिकायतें सामने आती रहती हैं।सवाल यह है कि क्या सड़कों का जाल वास्तव में जनता की जरूरतों को पूरा कर पा रहा है?
लाड़ली बहना योजना पर राजनीति तेज
लाड़ली बहना योजना को लेकर डिप्टी सीएम ने विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया,लेकिन योजना की राशि,स्थायित्व और भविष्य को लेकर महिलाओं के बीच असमंजस बना हुआ है।आलोचकों का कहना है कि स्पष्ट रोडमैप के बजाय सिर्फ बयानबाज़ी की जा रही है।
कर्ज या निवेश?बढ़ते आर्थिक बोझ पर जवाब अधूरा
सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज को निवेश बताकर पेश किया गया,लेकिन राज्य पर बढ़ते कर्ज का बोझ और भविष्य की वित्तीय जिम्मेदारियों पर कोई ठोस आंकड़े सामने नहीं रखे गए। विशेषज्ञ मानते हैं कि बिना स्पष्ट रिटर्न प्लान के निवेश भी जोखिम बन सकता है।
नक्सलवाद उन्मूलन के दावे,लेकिन सवाल बाकी
नक्सलवाद खत्म होने के सरकारी दावे किए गए,पर सुरक्षा बलों की तैनाती,पुनर्वास और स्थायी शांति की रणनीति पर विस्तृत जानकारी नहीं दी गई।केवल सरेंडर के आंकड़े पूरी तस्वीर नहीं दिखाते।
दो साल पूरे,जवाब अब भी अधूरे
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई, लेकिन महंगाई,रोजगार,स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर आम जनता को ठोस जवाब नहीं मिले।
मोहन सरकार के दो वर्षों के जश्न के बीच जनता अब दावों नहीं,नतीजों का इंतजार कर रही है।


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