मध्य प्रदेश सरकार की लापरवाही:हाईकोर्ट में खुलासा...
जबलपुर।।मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्य पीठ में NSA के एक मामले की सुनवाई चल रही थी, कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले की केंद्र सरकार को भेजी गई जानकारी का रजिस्टर कोर्ट में पेश किया जाए।लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण तृतीय श्रेणी का कर्मचारी रजिस्टर लेकर कोर्ट पहुंचने में असफल रहा।सरकार का झूठा बहाना
सरकार ने इसका कारण पहलगाम अटैक के बाद देश में बनी गंभीर स्थिति को बताया,लेकिन जब जस्टिस विवेक अग्रवाल ने उस कर्मचारी से पूछा कि वह देश सेवा या सिविल डिफेंस में क्या ड्यूटी कर रहा था,तो उसने साफ-साफ कह दिया कि वह तृतीय श्रेणी का कर्मचारी है और उसका सिविल डिफेंस में कोई भी काम नहीं है।इसके बाद सरकारी वकील ने बताया कि कर्मचारी गोरेलाल के द्वारा यह रजिस्टर चीफ सेक्रेटरी के आदेश के बाद ही लाया जा सकता था,क्योंकि वह मुख्यमंत्री के साथ तैयारी और मीटिंग में व्यस्त थे।
कोर्ट की सख्ती
लेकिन जब कोर्ट ने उससे जुड़े दस्तावेज मांगे तो जो नोटशीट कोर्ट के सामने पेश की गई उसमें इसका कहीं भी उल्लेख नहीं था कि चीफ सेक्रेटरी मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग में व्यस्त थे।इसके बाद कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए अपने उस आदेश को कायम रखा और सरकार पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला बुरहानपुर के शेख अफजल के द्वारा दायर किया गया था,कि उसके ऊपर NSA के तहत कार्यवाही की गई है।याचिकाकर्ता का यह तर्क था कि NSA के नियम अनुसार इस तरह की कार्यवाही की सूचना राज्य सरकार को 7 दिनों के भीतर केंद्र सरकार को देनी होती है,जिस नियम का पालन नहीं किया गया। हालांकि दस्तावेजों को देखने के बाद अदालत ने यह पाया कि सरकार के द्वारा NSA लगाने में किसी भी तरह की गलती नहीं की गई है।
सरकारी विभागों में व्याप्त लापरवाही
यह घटना दिखाती है कि सरकारी विभागों में व्याप्त लापरवाही और अक्षमता के कारण कैसे महत्वपूर्ण काम प्रभावित हो सकते हैं।सरकार को चाहिए कि वह अपने विभागों में सुधार करे और कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करे।
न्यायपालिका की भूमिका
न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण है जो सरकारी विभागों की लापरवाही को उजागर करती है और उन्हें अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जवाबदेह बनाती है। जस्टिस विवेक अग्रवाल के सवाल ने सरकारी विभाग की लापरवाही को उजागर किया और दिखाया कि कैसे न्यायपालिका सरकारी विभागों को नियंत्रित कर सकती है।
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