दमोह में स्कूल या हादसे का इंतज़ारगाह?जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे हैं मासूम,कलेक्टर के आदेश भी बेअसर!
दमोह,मध्यप्रदेश।दमोह जिले के पथरिया जनपद अंतर्गत ग्राम केवलारी में स्थित माध्यमिक शाला इन दिनों स्कूल कम,हादसे की प्रतीक्षा करती इमारत ज्यादा नजर आ रही है।छत से टपकता पानी,दरारों से भरी दीवारें और हर पल गिरने की आशंका लिए क्लासरूम—इन सबके बीच मासूम बच्चे रोज अपनी जान दांव पर लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं।
विद्यालय की जर्जर हालत किसी से छिपी नहीं—यह बात खुद स्कूल प्रभारी पवन कुमार सेन भी स्वीकार कर चुके हैं।उनका कहना है कि"बिल्डिंग वर्षों से क्षतिग्रस्त है,कई बार जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित में अवगत कराया,लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।"
कुछ दिन पहले ही जब क्षेत्र में तेज बारिश हुई,तो स्कूल की छत से पानी लगातार टपकने लगा। ग्रामीणों ने इसकी सूचना तत्काल मीडिया को दी। निरीक्षण में स्पष्ट हुआ कि छत और दीवारें किसी भी समय गिर सकती हैं। बावजूद इसके, कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, कि ऐसी जर्जर बिल्डिंग में बच्चों को न बैठाया जाए—स्कूल अब भी चल रहा है।
बच्चों का दर्द भी छलक पड़ा,एक छात्र ने बताया, “जब हम पढ़ते हैं तो डर लगता है कि कहीं छत हमारे ऊपर न गिर जाए... फिर भी रोज आना पड़ता है।”
प्रशासन की अनदेखी या लापरवाही?
ग्राम केवलारी के ग्रामीणों—जितेंद्र सिंह,गोविंद सिंह, कैलाश राठौर,प्रकाश शर्मा—ने बताया कि उन्होंने 181 पर शिकायत दर्ज करवाई,लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई,सवाल ये है कि क्या अब प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?
शिक्षक भी कर रहे हैं ड्यूटी,लेकिन डर के साए में
बच्चों की ही तरह,शिक्षक भी इस जर्जर भवन में डर के बीच ड्यूटी निभा रहे हैं,उन्होंने अपील की है कि शासन या तो तत्काल मरम्मत राशि स्वीकृत करे या नई बिल्डिंग का निर्माण कराया जाए,जिससे बच्चों की जान और भविष्य दोनों सुरक्षित रह सकें।
निष्कर्ष:
दमोह का यह मामला केवल एक गांव की समस्या नहीं, बल्कि सरकारी स्कूलों की दुर्दशा का आईना है। अगर समय रहते प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया,तो यह ‘सुधरने का मौका’ नहीं बल्कि ‘संताप की खबर’ बन जाएगी।
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