"लाड़ली योजना की राखी,कर्ज की डोरी से बंधी: 4300 करोड़ का नया लोन,कुल कर्ज 4.40 लाख करोड़ पार"
भोपाल।मध्यप्रदेश सरकार रक्षाबंधन पर‘लाड़ली बहनों’को 250 रुपए अतिरिक्त देने के लिए 4300 करोड़ का नया कर्ज लेने जा रही है।इस राशि से बहनों को तोहफा तो मिलेगा,लेकिन राज्य की अर्थव्यवस्था पर ऋण का बोझ अब 4.40 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो जाएगा।
एक महीने में दूसरी बार कर्ज,जुलाई का आंकड़ा 9100 करोड़
30 जुलाई को सरकार यह कर्ज रिजर्व बैंक से गवर्नमेंट सिक्योरिटी के जरिए लेगी,इससे पहले 8 जुलाई को सरकार 4800 करोड़ रुपए का कर्ज पहले ही ले चुकी है,यानी सिर्फ जुलाई में कुल 9100 करोड़ रुपए का लोन लिया जा रहा है।
17 और 23 साल की अवधि के लिए दोहरी उधारी इस बार लिया जा रहा ऋण दो भागों में बंटा है—एक 2000 करोड़ का और दूसरा 2300 करोड़ का।दोनों कर्ज की अवधि क्रमशः17 और 23 साल तय की गई है,इसका मतलब यह है कि 2041 और 2047 तक राज्य ब्याज समेत इनका भुगतान करता रहेगा।
बिंदु दर बिंदु विश्लेषण
•लाड़ली बहनों के लिए 250 रुपए की घोषणा
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अगस्त में रक्षाबंधन के अवसर पर 1.27 करोड़ बहनों को 250 रुपए अतिरिक्त देने का ऐलान किया है।पहले से ही योजना में हर महीने 1546 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं,अब इसमें 317.50 करोड़ रुपए अतिरिक्त जुड़ेंगे।
रेवेन्यू सरप्लस के बावजूद लोन?
राज्य सरकार ने दावा किया है कि वर्ष 2023-24 में उसे 12487.78 करोड़ का राजस्व अधिशेष (सरप्लस) रहा,लेकिन इसके बावजूद बार-बार लोन लिया जा रहा है।सवाल यह है कि जब राज्य राजस्व अधिशेष में है,तो फिर हर महीने कर्ज लेने की जरूरत क्यों?
चुनावी असर बनाम वित्तीय भार
आलोचकों का कहना है कि लाड़ली बहना जैसी योजनाएं समाजिक सशक्तिकरण के साथ-साथ चुनावी रणनीति भी हैं।परंतु इसके लिए लिया जा रहा लोन राज्य की भविष्य की वित्तीय आजादी को गिरवी रखता है।
कर्ज का कैलेंडर:मई से अब तक
तारीख कर्ज राशि अवधि परिपक्वता(भुगतान की तारीख)
7 मई ₹5000 Cr 12–14 साल मई 2037–2039
4 जून ₹4500 Cr 16–18 साल जून 2041–2043
8 जुलाई ₹4800 Cr 15–20 साल जुलाई 2040+
30 जुलाई (आगामी) ₹4300 Cr 17–23 साल जुलाई 2041
30 जुलाई (आगामी) ₹4300 Cr 17–23 साल जुलाई 2041–2047
➡ कुल (मई-जुलाई): ₹18,600 करोड़
विचार का विषय
क्या सामाजिक योजना के नाम पर लगातार ऋण लेना दीर्घकालीन रूप से राज्य के लिए आत्मघाती नहीं होगा?
क्या यह भविष्य की पीढ़ियों को आर्थिक ऋण में जकड़ने वाली रणनीति बनती जा रही है?
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