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MP TOP:मध्यप्रदेश में खुलेंगे ‘बिजली थाने’:अब चोरी और बकाया वसूली पर होगी सीधी एफआईआर...

मध्यप्रदेश में खुलेंगे ‘बिजली थाने’:अब चोरी और बकाया वसूली पर होगी सीधी एफआईआर...

भोपाल।बिजली चोरी और बकाया बिल वसूली को लेकर अब मध्यप्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश में जल्द ही ‘बिजली थाने’ खोले जाएंगे। यह व्यवस्था गुजरात मॉडल पर आधारित होगी और पहले चरण में इंदौर,भोपाल,उज्जैन,ग्वालियर,जबलपुर और रीवा में इनकी शुरुआत होगी।

क्या होगा बिजली थाने का काम?

•बिजली चोरी, केबल चोरी और मीटर से छेड़छाड़ जैसे मामलों में सीधे एफआईआर दर्ज की जाएगी।

•बिजली कंपनी के कर्मचारियों के साथ मारपीट या उत्पीड़न की घटनाओं की जांच भी यहीं होगी।

•थाने में केस डायरी तैयार करने से लेकर कोर्ट तक पेश करने की प्रक्रिया तय होगी।

•इस तरह बिजली कंपनियों को हर बार स्थानीय पुलिस पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

गुजरात मॉडल पर एमपी की नई व्यवस्था

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और बिजली कंपनी के प्रतिनिधियों ने हाल ही में गुजरात दौरा किया था।वहां की तर्ज पर ही मध्यप्रदेश में भी बिजली थाने खोले जाएंगे। गुजरात में इस मॉडल के चलते बिजली चोरी पर नियंत्रण और राजस्व वसूली में बड़ी सफलता मिली है।

पहले चरण में कहाँ खुलेंगे बिजली थाने?

1.इंदौर (पोलोग्राउंड मुख्यालय)

2.उज्जैन (ज्योति नगर मुख्यालय)

3.भोपाल

4.ग्वालियर

5.जबलपुर

6.रीवा

इन थानों के लिए स्थान पहले ही चिन्हित कर लिया गया है।

स्टाफ और खर्च का खाका

•एक थाने पर लगभग 25–30 लाख रुपए खर्च होंगे।

स्टाफ में होंगे:

•1 थाना प्रभारी (टीआई)

•2 एएसआई

•5 पुलिसकर्मी

•1 सहायक उप निरीक्षक

•1 कंप्यूटर ऑपरेटर

•खास बात यह है कि स्टाफ में 50% महिला और 50% पुरुष कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी।

पिछली बार क्यों रुका था प्रस्ताव?

दरअसल, 2021 में भी एमपी में बिजली थाने खोलने का प्रस्ताव आया था,लेकिन उस वक्त मंत्रियों ने आशंका जताई थी कि बिजली चोरी पर एफआईआर दर्ज होने से वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।इस कारण तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे स्थगित कर दिया था।

लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने बीते महीने समीक्षा बैठक में इसे हरी झंडी दे दी है।

क्या बदल जाएगा इस कदम से?

•बिजली चोरी पर तुरंत कार्रवाई हो सकेगी।

•बिल वसूली की प्रक्रिया तेज होगी।

•कर्मचारियों पर हमले और दबाव कम होंगे।

•बिजली कंपनियों का राजस्व बढ़ेगा और उपभोक्ताओं को भी नियमित सप्लाई का लाभ मिलेगा।

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