ग्वारीघाट में गंदगी का साम्राज्य:‘स्वच्छता रैंकिंग’ में पांचवां नंबर…हकीकत में शून्य!
नर्मदा की लहरों में बह रहा सफाई अभियान का सच
जबलपुर का ग्वारीघाट,जहां सुबह की पहली किरणों के साथ श्रद्धालु नर्मदा स्नान करते हैं,आज गंदगी का अड्डा बन चुका है।किनारों पर पड़ी पन्नियां,मरे हुए फूल-मालाओं के ढेर,बदबूदार पानी—यह दृश्य साफ कह रहा है कि शहर की‘स्वच्छता रैंकिंग’सिर्फ कागज़ पर चमक रही है।जश्न की फोटो,गंदगी की अनदेखी
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने तीन साल का कार्यकाल पूरे होने पर भव्य नर्मदा पूजन किया,फूल बरसाए गए,भाषण हुए,और तस्वीरें सोशल मीडिया पर चमकाईं।लेकिन उसी मंच के पीछे,घाट पर जमा गंदगी को किसी ने देखने की जहमत नहीं उठाई।
रैंकिंग का रहस्य:मेकअप से मिला मेडल
स्थानीय लोगों का कहना है-"यह रैंकिंग जमीनी सफाई से नहीं,कागज़ी मेकअप से मिली है।"असल में सफाई का सिस्टम टूटा हुआ है,मशीनें धूल खा रही हैं और कर्मचारी सिर्फ दिखावे के लिए तैनात किए जाते हैं।
पर्यटन और आस्था दोनों पर आघात
ग्वारीघाट सिर्फ एक घाट नहीं,यह धार्मिक आस्था और जबलपुर के पर्यटन का चेहरा है।लेकिन गंदगी और अव्यवस्था ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं का अनुभव खराब कर दिया है।कई पर्यटक खुलकर कह रहे हैं—"अगर यही पांचवां नंबर है,तो बाकी शहरों की हालत क्या होगी?"
जनता की चुनौती:मैदान में आओ,फाइलों में नहीं
शहरवासियों का साफ कहना है कि अब उन्हें रिपोर्ट्स और सर्टिफिकेट नहीं चाहिए—उन्हें चाहिए साफ सड़कें,स्वच्छ घाट और पारदर्शी व्यवस्था।चुनौती दी जा रही है कि नेता और अफसर बिना तामझाम के, आम दिनों में ग्वारीघाट पर आकर सफाई की असली तस्वीर देखें।
Post a Comment
0 Comments