एकता और अकीदत का प्रतीक:मोहर्रम का पर्व
जबलपुर में मोहर्रम का जुलूस:एक अनोखा प्रदर्शनमध्यप्रदेश के जबलपुर में मोहर्रम का पर्व धार्मिक उत्साह और सांप्रदायिक सद्भाव के अनूठे प्रदर्शन के साथ संपन्न हुआ।रानीताल कर्बला में ताजिये और सवारियां ठंडी की गईं,"या हुसैन"के नारों से पूरा शहर गूंज उठा।
भारी बारिश के बावजूद जुलूस का आयोजन
दोपहर में हुई भारी बारिश के कारण जुलूस अपने निर्धारित समय से देरी से निकला,लेकिन शाम 5 बजे से लगातार जारी बारिश के बावजूद अकीदतमंदों की अकीदत और मोहब्बत कम नहीं हुई।बारिश के पानी में भीगते हुए भी जुलूस में इस वर्ष लगभग 250 से अधिक सवारियां और 50 छोटे-बड़े ताजिये शामिल हुए।
आकर्षक ताजिये और सवारियां
मोहर्रम के जुलूस में कई भव्य और आकर्षक ताजिये शामिल हुए,हजरत सूफी गुल बाबा अशरफी द्वारा कायम मन्नत वाला ताजिया,नई बस्ती लंगर कमेटी का ताजिया और सालार मस्जिद के पास वाला ताजिया विशेष रूप से जनआकर्षण का केंद्र रहे।
सदर और गढ़ा में भव्य आयोजन
-सदर में जुलूस:शाम 5 बजे निकला। इसमें गली नंबर 9 का ताजिया, पुराना ताजिया और गली नंबर 7 में मरहूम अल्लू बाबा की नाले हैदर की सवारी जनआकर्षण का केंद्र रही।
-गढ़ा में जुलूस:अपनी परंपरानुसार शाम को निकाला गया,शहर में कौमी एकता की पहचान रखने वाले गढ़ा में समाजसेवी मुबारक कादरी के अनुसार,40 से अधिक हिंदू-मुस्लिम मुजावरों की सवारियां और 10 ताजिये शामिल हुए।
शिया समुदाय का आयोजन
यौम-ए-आशूरा(दसवीं मोहर्रम) के अवसर पर हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कर्बला में हुई शहादत को श्रद्धापूर्वक याद किया।इस दौरान विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया,जिसमें इमाम हुसैन के सत्य और न्याय के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आवाज़ उठाने पर विशेष ज़ोर दिया गया।
निष्कर्ष
मोहर्रम का पर्व जबलपुर में एकता और अकीदत का प्रतीक बनकर उभरा,भारी बारिश के बावजूद भी अकीदतमंदों के जज़्बे में कोई कमी नहीं आई और उन्होंने पूरे जोश के साथ मातम किया।
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