हेलमेट नहीं तो पेट्रोल नहीं:जबलपुर में सड़क सुरक्षा पर प्रशासन का‘सख्त तेवर’
हेलमेट का मज़ाक अब नहीं चलेगा,पेट्रोल की लाइन में भी मिलेगा सबक
जबलपुर/स्पेशल रिपोर्टजबलपुर जिले में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर अब प्रशासन ने निर्णायक कदम उठाया है। कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट दीपक कुमार सक्सेना ने "नो हेलमेट, नो पेट्रोल"नीति लागू करते हुए आदेश जारी कर दिया है कि बिना हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल नहीं दिया जाएगा।यह आदेश भारतीय नागरिक संहिता 2023 की धारा 163(1) के तहत प्रभावी किया गया है।
क्यों पड़ा यह आदेश जरूरी—आंकड़ों से मिली चेतावनी
आंकड़ों से मिली चेतावनी
•जिले में हालिया महीनों में दोपहिया दुर्घटनाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। अधिकतर मामलों में हेलमेट न पहनना ही मौत या गंभीर चोट का मुख्य कारण बना।
•लोगों की लापरवाही बन रही जानलेवा
मोटर यान अधिनियम की धारा-129 के तहत हेलमेट पहनना अनिवार्य है,लेकिन इसके बावजूद अधिकांश लोग जानबूझकर इसका उल्लंघन कर रहे हैं।
•प्रशासन की चिंता:एक जीवन,अनेक ज़िम्मेदारियां
कलेक्टर सक्सेना ने कहा,“एक नागरिक का जीवन केवल उसका नहीं, बल्कि पूरे परिवार और समाज की ज़िम्मेदारी है। हम इसे यूं जोखिम में नहीं डाल सकते।”
पेट्रोल पंप वालों के लिए अब ‘सेफ्टी गाइडलाइन’ अनिवार्य
•आदेश के तहत जिले के सभी पेट्रोल पंप संचालकों को सख्त निर्देश दिया गया है कि वह बिना हेलमेट पहने किसी भी व्यक्ति को पेट्रोल न दें।
•आदेश उल्लंघन पर पंप संचालकों के खिलाफ भी होगी कानूनी कार्यवाही,जिसमें लाइसेंस निरस्तीकरण तक की कार्रवाई संभव है।
आपत्ति दर्ज करने का अधिकार भी खुला रखा गया है
कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि यह एकपक्षीय आदेश भारतीय नागरिक संहिता की धारा 163(2) के तहत पारित किया गया है। अगर कोई नागरिक या पंप संचालक इस पर आपत्ति जताना चाहता है, तो वह धारा 163(5) के अंतर्गत अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकता है।
समाज में क्या बदलाव लाएगा ये आदेश?—विशेषज्ञों की राय
यातायात विशेषज्ञ कहते हैं:
•“यह पहल अन्य जिलों के लिए भी मॉडल बन सकती है,पेट्रोल न देना, सीधे तौर पर व्यवहार में बदलाव लाने की दिशा में प्रभावी कदम है।”
•सामाजिक कार्यकर्ता बोले:
“यह कानून नहीं, चेतावनी है — अब जो नहीं समझे, वो खुद जिम्मेदार होगा।”
सड़क पर उतरने से पहले अब ज़रूरी है 'सिर की सुरक्षा'
प्रशासन का यह आदेश जबलपुर में जन-जागरूकता के साथ-साथ सख्त क्रियान्वयन की मिसाल बन सकता है।यदि यह नीति गंभीरता से लागू होती है, तो निश्चित ही जिले में दोपहिया वाहन चालकों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
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