जबलपुर मेडिकल कॉलेज बना मरीजों की परीक्षा-स्थली:गर्भवती,बुजुर्ग और ग्रामीण घंटों लाइन में त्रस्त...
जबलपुर।नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में इन दिनों मरीजों और उनके परिजनों के लिए इलाज से ज्यादा बड़ी चुनौती है—डॉक्टर तक पहुंचने की जद्दोजहद।अस्पताल में पर्ची कटवाने और ऑनलाइन टोकन जेनरेट करने के लिए मरीजों को घंटों लंबी लाइन में खड़े रहना पड़ रहा है।हालात यह हैं कि गर्भवती महिलाओं से लेकर बुजुर्ग मरीज तक धूप में घंटों खड़े रहने को मजबूर हैं।ऑनलाइन टोकन बना परेशानी का सबब
मौसमी बीमारियों की वजह से मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।वहीं,मेडिकल कॉलेज का ऑनलाइन टोकन सिस्टम मरीजों के लिए राहत के बजाय नई मुसीबत बन गया है।ग्रामीण इलाकों से आने वाले लोगों के पास न तो स्मार्टफोन है और न ही वे ऐप चलाना जानते हैं। नतीजतन,उन्हें पर्ची कटवाने के लिए लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है।
भेड़ाघाट से आई एक गर्भवती महिला और उसकी सास ने बताया कि उन्हें पर्ची के लिए करीब एक घंटे लाइन में खड़ा रहना पड़ा।वहीं,मंडला से आईं अरुणा यादव का कहना है कि ऐप की खराबी के कारण वे आधे घंटे लाइन में खड़ी रहीं,फिर भी पर्ची नहीं मिल पाई।अरुणा बताती हैं कि उन्हें पहले हार्ट अटैक आ चुका है और इतनी देर खड़े रहना उनके लिए बेहद मुश्किल है।
बैठने की जगह भी नहीं,मरीज बेहाल
अस्पताल में बैठने की व्यवस्था न होने से मरीजों और परिजनों को घंटों खड़े रहना पड़ता है।बुजुर्ग,गर्भवती और हृदय व श्वसन संबंधी रोगियों के लिए यह हालात और भी खतरनाक साबित हो रहे हैं,कई मरीजों को धूप में खड़े होने की नौबत आ जाती है।
रोजाना 2500 मरीज,डॉक्टर और स्टाफ कम
अस्पताल प्रशासन के अनुसार पहले जहां रोज 1200 से 1500 मरीज आते थे,वहीं अब यह संख्या बढ़कर 2200 से 2500 तक पहुंच गई है।मरीज सिर्फ जबलपुर ही नहीं बल्कि मंडला,डिंडौरी,नरसिंहपुर, कटनी समेत अन्य जिलों और संभागों से भी इलाज कराने आते हैं,सबसे ज्यादा भीड़ बुधवार से शुक्रवार के बीच देखी जा रही है।डीन का दावा-गंभीर मरीजों के लिए इमरजेंसी
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ.नवनीत सक्सेना का कहना है कि गंभीर मरीजों के लिए इमरजेंसी में अलग व्यवस्था है।हालांकि,उन्होंने माना कि सीमित डॉक्टर, स्टाफ और काउंटर होने के कारण ओपीडी पर दबाव बढ़ा है,डीन ने आश्वासन दिया कि अधीक्षक से चर्चा कर ओपीडी की संख्या जल्द ही बढ़ाई जाएगी।
Post a Comment
0 Comments