प्रदेशभर के डॉक्टरों की CM को चिट्ठी:मेडिकल कॉलेजों में पैथोलॉजी जांच आउटसोर्सिंग का आदेश वापस लो...
भोपाल।मध्यप्रदेश सरकार के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मरीजों की जांचें निजी आउटसोर्स एजेंसियों से कराने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है।प्रदेश के सैकड़ों डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस फैसले का विरोध किया है।प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर एसोसिएशन (PMTA)का कहना है कि यह निर्णय न केवल मेडिकल कॉलेजों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करेगा,बल्कि इससे भ्रष्टाचार और निजी कंपनियों का दबदबा भी बढ़ेगा।डॉक्टरों का तर्क:22 साल से खुद कर रहे जांच
एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.राकेश मालवीय और महासचिव डॉ.अशोक ठाकुर ने कहा कि पिछले 22 वर्षों से प्रदेश के सभी शासकीय मेडिकल कॉलेजों में मरीजों की सभी पैथोलॉजी जांचें कॉलेज के विभागों द्वारा ही की जाती रही हैं।यहाँ एमडी/एमएस और एमबीबीएस स्तर के विद्यार्थी प्रशिक्षण लेते हैं।ऐसे में आउटसोर्स एजेंसी को जांच सौंपना कॉलेज के अस्तित्व और शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा हमला है।
डॉक्टरों ने दिए तीन बड़े सुझाव
1.पैथोलॉजी विभाग पहले से सक्षम–प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में पैथोलॉजी विभाग पूरी तरह संसाधनयुक्त है।यहाँ पर्याप्त डॉक्टर, टेक्नीशियन और आधुनिक मशीनें मौजूद हैं।
2.बजट का सही इस्तेमाल–पिछले 5 वर्षों का अनुभव बताता है कि यदि जांचें कॉलेजों में ही हों तो खर्च कम और रिपोर्ट की गुणवत्ता बेहतर होती है।
3.छात्रों का प्रशिक्षण प्रभावित न हो–एमबीबीएस और पीजी छात्रों की पढ़ाई का बड़ा हिस्सा पैथोलॉजी लैब से जुड़ा है।आउटसोर्सिंग से छात्रों की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और भविष्य की विशेषज्ञता पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
भ्रष्टाचार और गुटबाजी का खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि जांच कार्य को निजी कंपनियों को देने से दलालों,अधिकारियों और एजेंसियों का नेटवर्क तैयार होगा। इससे न केवल गुटबाजी और भ्रष्टाचार बढ़ेगा,बल्कि गलत रिपोर्ट आने पर जिम्मेदारी तय करना भी मुश्किल हो जाएगा।
छात्रों की शिक्षा और मरीजों की जिंदगी पर असर
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि आउटसोर्सिंग से मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता घटेगी और मरीजों के इलाज पर भी असर पड़ेगा।यही छात्र भविष्य में फैकल्टी और विशेषज्ञ बनकर स्वास्थ्य व्यवस्था को संभालते हैं। अगर उन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण ही नहीं मिलेगा तो पूरी व्यवस्था प्रभावित होगी।
आउटसोर्सिंग आदेश रद्द करने की मांग
एसोसिएशन ने सरकार से स्पष्ट कहा है कि मेडिकल कॉलेजों में जांच कार्य आउटसोर्स करने का आदेश तत्काल वापस लिया जाए।यह काम डॉक्टरों,पीजी छात्रों और लैब टेक्नीशियनों से ही कराया जाए,ताकि पारदर्शिता और गुणवत्ता बनी रहे।
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